अब भी औषधि है तुम अपने लिए। अब भी औषधि है तुम अपने लिए।
एक लम्हा जो दिल को सुकून दे जाए मैं लम्हा -लम्हा ऐसे ही बसर करूं। एक लम्हा जो दिल को सुकून दे जाए मैं लम्हा -लम्हा ऐसे ही बसर करूं।
जाहिर नहीं होने देता है पर फिक्र करता है तेरी। जाहिर नहीं होने देता है पर फिक्र करता है तेरी।
खुशियों को पाने की कोई चाह थी, या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी, खुशियों को पाने की कोई चाह थी, या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी,
माँ साल में एक बार मातृ दिवस भी मना लिया करता हूं। माँ साल में एक बार मातृ दिवस भी मना लिया करता हूं।
सब्र थोड़ा तो कर, इन्साफ करेगा तेरा वो रब। सब्र थोड़ा तो कर, इन्साफ करेगा तेरा वो रब।